उम्र जो बे-ख़ुदी में गुज़री है
बस वही आगही में गुज़री है
कोई मौज-ए-नसीम से पूछे
कैसी आवारगी में गुज़री है
कैसी आवारगी में गुज़री है
उन की भी रह सकी न दाराई
जिन की अस्कंदरी में गुज़री है
जिन की अस्कंदरी में गुज़री है
आसरा उन की रहबरी ठहरी
जिन की ख़ुद रहज़नी में गुज़री है
जिन की ख़ुद रहज़नी में गुज़री है
यूँ तो शायर बहुत से गुज़रे हैं
अपनी भी शायरी में गुज़री है
अपनी भी शायरी में गुज़री है
मीर के बाद ग़ालिब ओ इक़बाल
इक सदा, इक सदी में गुज़री है ।
इक सदा, इक सदी में गुज़री है ।
भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पत्रिका 1975 के वर्षों में "साइंस की दुनिया" का संपादन का कार्य इन्होंने किया था गुलजार देहलवी को उर्दू भाषा के साथ-साथ उर्दू संस्कृति का भी प्रतिमान माना जाता है।
गत 12 जून 2020 को इनका निधन हो गया इनकी रचना 'कुलियात-ए- गुलजार' 2011 में प्रकाशित हुई थी
गुलजार देहलवी का मूल नाम-आनंद मोहन ज़ुत्शी (जन्म 7 जुलाई 1926 ) को पुरानी दिल्ली के कश्मीरीया गली में हुआ । उनकी लेखनी में गंगा जमुनी तहजीब की भी झलक मिलती है।
गुल्ज़ार देह्लवी के नाम से मशहूर पंडित आनंद मोहन ज़ुत्शी, उर्दु साहिती जगत के ऐक प्रमुख शायर थे।
आजादी की आंदोलन में कई जलसों में अपनी शायरी से जोश भरने का काम किया। उनकी शायरी के मुरीद जवाहरलाल नेहरू भी हुआ करते थे। गुलज़ार साहब ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. और एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की। उर्दू शायरी और साहित्य में उनके योगदानों को देखते हुए उन्हें 'पद्मश्री' पुरस्कार से नवाजा गया। 2009 में उन्हें 'मीर तकी मीर' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
गत 12 जून 2020 को इनका निधन हो गया इनकी रचना 'कुलियात-ए- गुलजार' 2011 में प्रकाशित हुई थी
गुलजार देहलवी का मूल नाम-आनंद मोहन ज़ुत्शी (जन्म 7 जुलाई 1926 ) को पुरानी दिल्ली के कश्मीरीया गली में हुआ । उनकी लेखनी में गंगा जमुनी तहजीब की भी झलक मिलती है।
गुल्ज़ार देह्लवी के नाम से मशहूर पंडित आनंद मोहन ज़ुत्शी, उर्दु साहिती जगत के ऐक प्रमुख शायर थे।
आजादी की आंदोलन में कई जलसों में अपनी शायरी से जोश भरने का काम किया। उनकी शायरी के मुरीद जवाहरलाल नेहरू भी हुआ करते थे। गुलज़ार साहब ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. और एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की। उर्दू शायरी और साहित्य में उनके योगदानों को देखते हुए उन्हें 'पद्मश्री' पुरस्कार से नवाजा गया। 2009 में उन्हें 'मीर तकी मीर' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
उन्हीं का एक गजल-
उस सितमगर की मेहरबानी से
दिल उलझता है ज़िंदगानी से
ख़ाक से कितनी सूरतें उभरीं
धुल गए नक़्श कितने पानी से
हम से पूछो तो ज़ुल्म बेहतर है
इन हसीनों की मेहरबानी से
और भी क्या क़यामत आएगी
पूछना है तिरी जवानी से
दिल सुलगता है अश्क बहते हैं
आग बुझती नहीं है पानी से
हसरत-ए-उम्र-ए-जावेदाँ ले कर
जा रहे हैं सरा-ए-फ़ानी से
हाए क्या दौर-ए-ज़िंदगी गुज़रा
वाक़िए हो गए कहानी से
कितनी ख़ुश-फ़हमियों के बुत तोड़े
Gulzar Dehalvi-
Age that has passed
He is just under fire
Ask someone Mouz-e-Naseem
What kind of vagabond
Neither of them could live
Gin is in Escondary
Ashara stayed with them
Who has gone through self-harm
So many poets have gone through
I have gone through my poetry too
Ghalib O Iqbal after Mir
Always, has passed in a century.
In the year 1975, published by the Government of India, he had done the work of editing the "world of science", Gulzar Dehalvi is considered to be a model of Urdu language as well as Urdu culture.
He died on June 12, 2020, whose composition 'Kuliyat-e-Gulzar' was published in 2011.
Gulzar Dehalvi's original name - Anand Mohan Zutshi (born 7 July 1926) was born in Kashmiria Gali, Old Delhi. His writing also gives a glimpse of Ganga Jamuni Tehzeeb.
Pandit Anand Mohan Zutshi, popularly known as Gulzar Dehlavi, was a prominent poet of the Urdu literary world.
In the freedom movement, many jasars worked to energize with his poetry. Jawaharlal Nehru was also a poet of his poetry. Gulzar Saheb holds an MA from Delhi University. And LL.B. Completed his studies He was awarded the 'Padma Shri' award for his contributions to Urdu poetry and literature. In 2009, he was also honored with the 'Mir Taqi Mir' award.
One of his ghazals
With that kindness
Heart gets entangled with life
How many circumstances emerged
How much water was washed
Victimization is better than we ask
With pleasure from these beauties
What other price will come
I have to ask my youth
Heart ignites ashes
Fire is not extinguished by water
Taking hasrat-e-age-a-javed
Going from sara-e-faani
Haye whats round-a-life
Stories from the story
How happy they broke
You made Gulzar happily.
By Google translate
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